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छितरी इधर उधर वो शाश्वत चमक लिये
देखी जब रेत पर बिखरी अनाम सीपियाँ
मचलता मन इन्हें बटोर रख छोड़ने को
न जाने यह हैं किसका इतिहास समेटे

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15 March 2010

हमारे दरमिया ऐसा कोइ रिश्ता नहीं था .....

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परवीन शाकिर...गर आज़ाद नज़्म को बेबाकी से कहना भी एक हुनर है ... तो यकीन मानिये इस हुनर में इनका जवाब नहीं..... हमारे दरमिया ऐसा कोइ रिश्ता नहीं था तेरे शानो पे कोई चाहत नहीं थी मेरे जिम्मे कोई आँगन नहीं था कोई वादा तेरी ज़ंजीर -ए -पा बनने नहीं पाया किसी इक़रार ने मेरी कलाई को नहीं थामा हवा -ए -दश्त की मानिंद तू आज़ाद था रास्ते तेरी मर्जी के तबे थे मुझे भी अपनी तन्हाई पे देखा जाए...
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13 March 2010

एक आंतकी का पति ओर बुद्ध की मुस्कान -उदय प्रकाश.

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उदय प्रकाश...... नाम लिखना जैसे शब्दों के कई रेखा चित्रों के बण्डल को एक साथ संभालना है...उन्ही का ..एक रेखा चित्र यहाँ भी है.... सत्ताओं ने एक ऐसा समय रचा है हमारे इर्द-गिर्द कि सारे दुस्वप्न और आशंकाएं एक-एक कर सच होने लगती हैं। उस रोज़ जब पोखरण में परमाणु के धमाके हुए उसके बाद के पंद्रह दिन पाकिस्तान में उथल-पुथल के थे। अगर सियासत...
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अँतर्जाल पर अतिथि पोस्ट अभिषेक इतिहास खलील ज़िब्रान गांधीजी चित्र वीथिका जवाहरलाल नेहरू तर्क विवेचन परमाणु प्रकृति प्रो. ए.पी.जे.कलाम बुनो कहानी भारत एक खोज मजहब मीमाँसा मुद्र्ण से.. मुर्दा क्यूँ यह मुद्दे ? यौन शोषण विद्रूपता का सच विविधा व्यँग्य सत्ता व्यवस्था की धमक साथियों की कलम ग़ुलज़ार

डा. अनुराग आर्य

अभिषेक ओझा

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  • मछली का नाम मार्गरेटा..!! - मछली का नाम मार्गरेटा.. यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...
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भाई कूश