25 February 2010
दिनांक : Thursday, February 25, 2010 | 0 सुधीजन टिपियाइन हैं | ईँशा अल्लाह ख़ाँ, मुद्रण से, रानी केतकी की कहानी, विविधा, हिन्दी इतिहास की झलकियाँ
चूल्हे भाड में जाय यह चाहत - चाह के हाथों किसी को सुख नहीं

मेरी सकत गुरू की भगत फूरे मंत्र ईश्वरोवाच .. उधर हमको नींद सताती थी, और की सुनिये । अब तक जो पढ़ा सो यह था कि मेरी सकत गुरू की भगत फूरे मंत्र ईश्वरोवाच पढ के एक छींटा पानी का मिलना था कि छीटों के साथ ही कुँवर उदैभान और उसके माँ बाप तीनों जनें हिरनों का रूप छोड कर जैसे थे वैसे हो गए । ...
22 February 2010
गोरख जागा, मुंछदर जागा और मुंछदर भागा

यह किस्सा गोरख जागा, मुंछदर जागा और मुंछदर भागा तक पहुँचाया, और धीरे धीरे ऎसे अड़चन आन पड़ी और ऎसी बान बनी कि हिरदय में एक छिन को लगता रानी केतकी की पूरी कहानी मेरे पन्नों पर कभी उतर कर न आ पावेगी । जिस घडी इसे पूरी करने की ठानता, एक न एक मुसीबतें आ खड़ी होती, मेरे सभी सोचे पर धूल मट्टी डाल कर सँग उड़ा...
4 February 2010
दिनांक : Thursday, February 04, 2010 | 4 सुधीजन टिपियाइन हैं |
जोशिम ओर फुग्गो की बिरादरी


सोचता हूँ कविता को परिभाषा कितनी कठिन होगी ... ...नियम हिज्जे के कानून ख्याल को कैसे बाँध सकते है .....अक्सर जब ख्यालो की रवानगी रुक जाती है तो कंप्यूटर के दरवाजे खटखटाता हूँ ...लोगो को मुश्किलें होती होगी पर मुझे अक्सर मन चाहा मिल जाता है....जोशिम ऐसे ही एक खयालो...
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मानवता की अनुत्तरित जिज्ञासा
नासदासीन नो सदासीत तदानीं नासीद रजो नो वयोमापरो यत किमावरीवः कुह कस्य शर्मन्नम्भः किमासीद गहनं गभीरम सृष्टि सृजन : ऋग्वेद (१०:१२९ )
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डा. अनुराग आर्य
अभिषेक ओझा
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तुम्हारे लिए - मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग । हाँ व्...5 years ago
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कॉन्सेप्चुअल फ्रेमवर्क - सामाजिक विज्ञान को विज्ञान की उपाधि जरूर किसी ऐसे व्यक्ति ने दी होगी जिसे लगा होगा कि विज्ञान को विज्ञान कहना *डिस्क्रिमिनेशन* हो चला है। विज्ञान और तार्...5 years ago
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मछली का नाम मार्गरेटा..!! - मछली का नाम मार्गरेटा.. यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...10 years ago