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छितरी इधर उधर वो शाश्वत चमक लिये
देखी जब रेत पर बिखरी अनाम सीपियाँ
मचलता मन इन्हें बटोर रख छोड़ने को
न जाने यह हैं किसका इतिहास समेटे

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27 September 2009

क्राँति की तलवार - इन्क़लाब ज़िन्दाबाद

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शहीद भगत सिंह जन्मदिन पर विशेष अलीपुर बमकाँड के आरोपी श्री यतीन्द्रनाथ दास 63 दिन के  आमरण  अनशन  के  पश्चात   ब्रह्मलीन हो गये  । सँभवतः ब्रिटिश सरकार उनको मिसगाइडेड हूलीगन से अधिक कुछ और न मानती थी । यह इसलिये भी कि शायद न तो इनका कोई राजनैतिक कद बन पाया था और न ही इनके सत्याग्रह को कोई राजनैतिक समर्थन...
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23 September 2009

कवि हृदय वैज्ञानिक का चकित आध्यात्म्य

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समँदर की लहरें, सुनहरी रेत, श्रद्धानत तीर्थयात्री रामेश्वरम द्वीप कि वह छोटी-पूरी दुनिया सबमें तू निहित सबमें तू समाहित अधिकाँश पाठक इस वैज्ञानिक के परिचय  को  लेकर  उत्सुक  हो  उठे  होंगे ।  शायद  इनकी  इस कविता  के  इतने  अँश से ही आप इनका अँदाज़ा भी लगा चुके हों । मेरा...
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9 September 2009

मज़बूत होता जाता रिश्ता

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" शारीरिक जीवन के इस कैदखाने में आने से पहले हम कहाँ थे और क्या थे ? " " ये समझदार, सँज्ञाशील और शरीर में  बेचैन रहने वाली आत्मायें हमारे शरीर में आने से पहले कहाँ थीं और क्या थीं ? इससे पहले कि ज़माना हमें निरर्थक आवाज़ बना कर दुनिया में लाया, हम किस सँतोष की साँस ले रहे थे ? " " हमारे प्राण इन स्वरूपों में बदलने से पहले किस स्थिति...
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6 September 2009

इनकी डायरी में कैद उनकी वर्दियाँ

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बहुचर्चित शशि हत्याकाण्ड की गूँज कुछ थम सी गयी है ।  पर  मक़तूल  के  रिश्तेदार, कातिल   और पैरोकार तो इसे अपने अपने ढँग से जी ही रहे हैं !  इस  हत्याकाण्ड  के  मुख्य  आरोपी  आनन्द सेन  के साथ अन्य आरोपियों में सीमा आज़ाद भी सह-आरोपी ठहरायी गयी हैं, केस  विचाराधीन  है.. ज़ाहिर है, कानून का पहिया अपनी ही रफ़्तार से घूमेगा । फिलहाल सभी अभियुक्त सलाखों की निगहबानी...
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4 September 2009

फुल्ली फालतू चैनल का कवर स्टोरी: घासी राम की भैँस

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सबसे पहले -  श्री राजशेखर रेड्डी हमारे बीच न रहे । यहाँ कोई भी शरीर स्थायी परमिट लेकर नहीं आता है, तो उसके न रहने का शोक क्यों ? जिस तरह से उनको विदा होना पड़ा, वह वाकई दुःखद है । किसी भी राजनैतिक पार्टी के पर्ति कोई विशेष प्रतिबद्धता न रखते हुये भी मैं उनका प्रशँसक रहा । उनकी डाउन टू अर्थ कार्यशैली मुझे यदा कदा अचँभित तो करती ही थी,...
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3 September 2009

भिखारी और लिपस्टिक

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#कल डा० अनुराग की पोस्ट ने कुछ समय तक अशाँत रखा। मेरे ख़्याल से यह कथ्य कोलाज़ समाज के विस्तृत कैनवास के चित्रण का एक फ़ैशनेबुल रिपीटेशन था, जो एक कोने पर ही टिक कर रह गया है । कुश के स्वर में निहित प्रतिवाद और अनूप शुक्ल की प्रशँसात्मक उलाहना से जैसे मुझे भी बल मिला हो विसँगतियों के विद्रूप का एक अन्य पहलू ’ यह भी खूब रही ’ के प्रयास कुछ अलग तरह से रखते हैं । सिग्नल पर होता मेकअप अप्रैल 16, 2008 दफ्तर आते हुए ट्रैफिक सिग्नल...
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2 September 2009

कुंठित कनेक्शन

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इस आलेख पर मैं अपनी तरफ़ से कोई टिप्पणी न दूँगा । बेहतर होगा कि यदि आपके पास सोचने के लिये पल दो पल हों, तो आप इसे स्वयँ ही पढ कर कोई निष्कर्ष निकालें, । सँकलक– डा० अमर  कुमार कुंठित कनेक्शन स्त्री-पुरुष संबंध, सृष्टि की बेहद भरोसेमंद बुनियाद ।  परस्पर  विपरीत  होकर  भी  एक-दूसरे  के  लिए समर्पित, ऐसा समभाव जहां न कोई छोटा न बड़ा । बावजूद इसके जब हम आधी दुनिया में झांकते हैं तो यह खूबसूरत...
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इन रचनाओं के यहाँ होने का मतलब
अँतर्जाल एवं मुद्रण से समकालीन साहित्य के
चुने हुये अँशों का अव्यवसायिक सँकलन

(संकलक एवं योगदानकर्ता के निताँत व्यक्तिगत रूचि पर निर्भर सँग्रह !
आवश्यक नहीं, कि पाठक इसकी गुणवत्ता से सहमत ही हों )

उत्तम रचनायें सुझायें, या भेजे !

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अँतर्जाल पर अतिथि पोस्ट अभिषेक इतिहास खलील ज़िब्रान गांधीजी चित्र वीथिका जवाहरलाल नेहरू तर्क विवेचन परमाणु प्रकृति प्रो. ए.पी.जे.कलाम बुनो कहानी भारत एक खोज मजहब मीमाँसा मुद्र्ण से.. मुर्दा क्यूँ यह मुद्दे ? यौन शोषण विद्रूपता का सच विविधा व्यँग्य सत्ता व्यवस्था की धमक साथियों की कलम ग़ुलज़ार

डा. अनुराग आर्य

अभिषेक ओझा

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  • मछली का नाम मार्गरेटा..!! - मछली का नाम मार्गरेटा.. यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...
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भाई कूश